रावण जलने को तैयार नहीं
रावण बनने को और जलने को,
अब की बार तैयार नहीं ।
कहता है मेरे समक्ष, मुझे जला सके
वो राम नहीं ।
हर बार तो मैं जलता हूँ, अपने पाप सहित मिटता हूँ ।
किया था मेंने सीता हरण, उस पाप के कारण बरसों से जल रहा हूँ।
लेकिन जो पापी मासूमों के साथ करते खिलवाड़,
और लेते हैं जो कानून और लंबी तारीखों की आड़।
मुझसे बढ़कर पापी है इस धरा पर,
क्या उनका संहार नहीं हो सकता ।
मुँह में राम बगल में भी राम हो ,
क्या ये नहीं हो सकता ।
जिसने अपनी सारी बुराईयों को हो जलाया,
वो ही आकर मुझे बनाये और जलाए।
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
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