मलयज छंद
मिलजुल कर रह।
दुख हँसकर सह।
सब सच-सच कह।
जल बनकर बह।
मत रुक अब चल।
शुभ नित नभ-थल।।
मन सुख हर पल।
सुन हिय कल-कल।।
संगीता दरक माहेश्वरी
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
मलयज छंद
मिलजुल कर रह।
दुख हँसकर सह।
सब सच-सच कह।
जल बनकर बह।
मत रुक अब चल।
शुभ नित नभ-थल।।
मन सुख हर पल।
सुन हिय कल-कल।।
संगीता दरक माहेश्वरी
बस जरा सा
चकाचौंध बहुत हुई
बस रौनक जरा कम हो गई
सेल्फी में मुस्कान बहुत हुई
आँखें अपनो की जरा नम हो गई
फोन पर चैट बहुत हुई
अपनो से बातें जरा कम हो गई
दौलत शोहरत बहुत कमाई
सुक़ून शांति जरा कम हो गई
फ्रेंड लिस्ट लंबी चौड़ी हो गई
अपनो की फेहरिस्त जरा कम हो गई
जीने की ख्वाहिशें बहुत हुई
बस जरा सी उम्र कम हो गई
सच बोले कौआ काटे........ आप सोच रहे होंगे कि मैंने कहावत गलत लिख दी कहावत तो कुछ और है पर वर्तमान में यही कहावत ठीक बैठती है सच में, आ...