मलयज छंद
मिलजुल कर रह।
दुख हँसकर सह।
सब सच-सच कह।
जल बनकर बह।
मत रुक अब चल।
शुभ नित नभ-थल।।
मन सुख हर पल।
सुन हिय कल-कल।।
संगीता दरक माहेश्वरी
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
सच बोले कौआ काटे........ आप सोच रहे होंगे कि मैंने कहावत गलत लिख दी कहावत तो कुछ और है पर वर्तमान में यही कहावत ठीक बैठती है सच में, आ...
No comments:
Post a Comment