दो वक्त की रोटी कमाने हम कितनी दूर निकल आये,,,,,,
घर से निकला था,,,,,,,,
🏚️घर से निकला था
बहुत सारा वक्त लेकर
पर लगता हैं
सब खर्च हो गया
हो सके तो
माँ थोड़ा वक्त और भिजवा देना
दो वक्त की रोटी,और थोड़ी सी ख्वाहिशे निकला था कमाने, क्या पता था सबकुछ गँवा बैठूँगा!!!
✍️संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
Behtrin
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