अलविदा 2020


अलविदा 2020
बीतने को है एक साँझ,     
होने को है एक नयी भोर।
नया उजाला नयी उमंग,
फैली चारो और।
नया गगन नयी चली है बयार,
खोलकर पंख उड़ने को, 
जिंदगी है बेकरार।
सपनो की कश्ती में सवार,
किनारे की और
बीतने को है एक साँझ
होने को है एक नयी भोर।
नयी ख्वाहिशे नयी उमंगें
ले रही है आकार,
नया सफर नयी मंजिले
भी हैं तैयार।
बीतने को है एक साँझ,
होने को है एक नयी भोर।

  "थमता नही सफर जिंदगी का,
बस मुसाफिर बदल जाते है,
आइने वही रहते,
बस चेहरे बदल जाते है"।
    
             संगीता दरक माहेश्वरी
             सर्वाधिकार सुरक्षित

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