खामोश दीवारें ,silent walls, khamosh divare

खामोश दीवारें......
खामोश दीवारें कब बोलेंगी
चार दीवारी का भेद कब खोलेंगी
क्या दीवारों के सिर्फ कान होते हैं
होती नही आँखें
क्यों ये मूक होकर देखती रहती हैं
सिसकियों और चीखों को सुनती हैं बस
अपने पहलू में क्या कुछ होने देती हैं
छत को बचाने के लिए नही
बोलती ये दीवारें
रिसता पानी दीवारों से कुछ बयां तो करता है
पर खुलकर कुछ नही बताती ये दीवारें खामोश खड़ी ये दीवारें
और जब साहस करके कुछ बोलती हैं तो टूट कर बिखर जाती हैं ये दीवारें
         संगीता माहेश्वरी
        सर्वाधिकार सुरक्षित

लॉक डाउन के पॉजिटिव इफेक्ट

विषय-" लॉक डाउन के पॉजिटिव इफ़ेक्ट"
सबसे पहले में अपने देश को नमन करती हूँ जो इतनी मुश्किल घड़ी मेभी डटकर खड़ा है
लॉक डाउन ने हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी पर रोक लगा दी इंसान मशीन बनकर रह गया था  घर परिवारऔर अपनेआप से भी दूर हो गया था
लॉक डाउन भले ही कठिन परिस्थतियों से लड़ने के लिये किया गया है। लेकिन अपनों का साथ पाकर इंसान सरल हो गया है परिवार के साथ  भोजन, साथ में ईश्वर आराधना  और हमारे पुराने खेल जो मोबाइल और दौड़ती जिंदगी में पीछे छूट गए थे आज सबसे परिचय हो रहा हरेक रिश्ता अपने आपको समय दे रहा है कोरोना को परिवार के साथ रहकर हम निश्चित मात दे देंगे
इस लॉक डाउन ने बाहरी दुनिया की दुरी भले ही बड़ा दी लेकिन अपनों को तो ये पास में ले आया है वो बच्चे जो बाहर का खाना खाएं बगैर नही रहते थे  वो घर का खाना आराम से खा रहे है क्योंकि परिवार के साथ में बैठकर सुखी रोटी भी पकवान होती है मेरे विचार से रफ्तार भरी जिंदगी में ठहराव थोड़ा सुकून पाने को आया है
         संगीता दरक माहेश्वरी
            सर्वाधिकार सुरक्षित
    
                  

मेरे गाँव की मिट्टी,soil of my village

भारत गाँवो में बसता है ,लेकिन आधुनिकरण ने गाँव की वो पुरानी रौनक की जगह नयापन दे दिया है लेकिन आज भी मन करता है कि मेरा गाँव ,गाँव ही रहे बस दोस्तों इसी विषय पर पढ़िये मेरी रचना .....

मेरे गाँव की मिट्टी
मेरा गाँव, गाँव ही रहे तो अच्छा है
गाँव का हर बच्चा बच्चा ही रहे तो अच्छा है
सुख मिले ,सुकून मिले सुविधाये भी सारी हो
सब अपने हो और प्यारी सी फुलवारी हो
आधुनिकता की आड़ में कपड़े बदन के कम न हो
और आज भी जब लड़की अकेली हो ,राहों में तो गम न हो
नीम की ठंडी छाँव हो न हो, अपनों का घना साया हो
घर में आँगन हो ,बैठे अपने सारे  ख़ुशी और गम की बातें हो
सब पास हो  न हो, पर दिलो की दुरियाँ ना हो
कच्चे मकान हो पर रिश्ते पक्के हो
आज भी चौराहों पर देश की बातें हो
पास में कुछ हलचल होतो सबकी सब पर नजर हो
रफ़्तार से दौड़ती सड़कें हो पर, ले जाये मंजिलो की और
शहर सी भागदौड़ हो पर सुस्ताने को बरगद की छाँव हो 
  शिक्षा चाहै हो अंग्रेजी की पर नैतिकता की बाते  हो
शहर सी चकाचोंध हो पर गाँव की रौनक कम न हो
मेरे गाँव को गाँव ही रहने दो क्यों कि आज भी
मेरे गाँव में सुकून बसता है!

         संगीता माहेश्वरी दरक
            सर्वाधिकार सुरक्षित

अभी अपने घर में ही रहना

कोरोना को हराना है तो आप सब घर में रहे🙏
ये वक्त गुज़र जायेगा सब्र तो कर
जान को जान समझ ऐसे तो ना कर
अपनों के साथ उनकी
जान का दुश्मन न बन
दूरियां बना ले तू
मुश्किलों का कारण तो न बन
है ज़रूरत प्रण की बस
इतना ही कर
करना है जो अपने
घर में रहकर ही कर
                 संगीता दरक माहेश्वरी
                    सर्वाधिकार सुरक्षित

कोरोना को हराना है ,Corona has to be defeated ,kill korona


कोरोना को हराना है
पडी है देश पर कोरोना की मार
मिलकर करो इस पर प्रहार
थोड़ा सा धैर्य और संयम रखो
ना जाओ बाजार लगाओ ना भीड़ रखो दूरियां सबसे यदि
रहना हो अपनों के पास
घर की दाल रोटी खाओ और
परिवार के साथ दिन बिताओ
यूँ  राशन की दूकानों पर कतारे ना बढ़ाओ
रखा है जितना पहले वो तो पकाओ
हम भर भर कर लायेंगे तो दूसरे कहाँ जायेंगे
अरे हम उस धरा पर रहते है जहाँ आज भी होली में बुराई
और दशहरे में रावण को जलाते हैं
और आज भी कान्हा जी घर घर के पालनों में झुलते है
ये वक्त भी निकल जायेगा और कोरोना भी खत्म हो जायेगा |
मुँह पर लगाकर रखिये मास्क और धोते रहे अपने हाथ
डॉक्टर, पुलिस और सफाईकर्मी के काम को सराहना है
और अपने घर में रहकर कोरोना को पछाड़ना है
जय हिन्द 
संगीता दरक माहेश्वरी 
सर्वाधिकर सुरक्षित 

दर्पण हूँ मैं, i am the mirror , Darpan hu m


               दर्पण हूँ मैं
दर्पण हूँ मैं ,सबको खुश नही रख
 पाता हूँ
जो सच है ,वही दिखलाता हूँ ।  
चेहरे पर जो चढ़े है नकाब , 
 उन्हे  हटाता हूँ  !
सच का साथ हरदम निभाता हूँ !
टूटकर बिखर जाता हूँ , फिर भी सच ही बोलता हूँ !
दर्पण  हूँ मैं सबको खुश  नही रख पाता |  "ऐ दोस्त सूरत और सीरत
    तु अपनी सँवार ले  
  फिर खुद को मुझमे निहार ले "!!!
          
         संगीता माहेश्वरी दरक
           सर्वाधिकार सुरक्षित

सच बोले कौआ काटे #

  सच बोले कौआ काटे........ आप सोच रहे होंगे कि मैंने कहावत गलत लिख दी कहावत  तो कुछ और है  पर  वर्तमान में यही कहावत ठीक बैठती है  सच में, आ...