मेरी डायरी
सबके मन का सुनती है,
सुख-दुख का हिस्सा बनती है।
जीवन के हर पल का हिसाब इस पर होता,
कोई तिजोरी में तो कोई सिरहाने रख सोता।
मेरी डायरी बनती कभी किसी यात्रा का हिस्सा,
तो बनती कभी किसी जीवन का किस्सा।
मन की हो या दिल की बात सब सुन लेती,
कितना भी कुछ हो जाए किसी से कुछ न कहती।
रखता कोई गुलाब तो कोई प्रेम पाती ,
तनहाई को भी यादों से उसकी महकाती ।
हर रंग के भाव अपने में बसाती,
अधूरी ख़्वाहिशों और साकार सपनों
को अपने में सजाती।
बातों से जब भर जाती कोने
में रख दी जाती ,
चलती जब यादों की बयार
एक -एक पन्ना छेड़ जाती।
सबसे न्यारी मेरी डायरी
मन को भाती ,
अपनो से भी बढ़कर मेरा साथ निभाती ।
संगीता दरक माहेश्वरी©
सही कहा, बहुत सुंदर 👌
ReplyDeleteBhut Sundar
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