शॉल श्री फल और सम्मान
मिलना हुआ कितना आसान
बन बैठा हर कोई कवि यहाँ
कविताओं की जैसे लगाई दुकान
संगीता दरक माहेश्वरी
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
शॉल श्री फल और सम्मान
मिलना हुआ कितना आसान
बन बैठा हर कोई कवि यहाँ
कविताओं की जैसे लगाई दुकान
संगीता दरक माहेश्वरी
सुख-दुख साझा साथ करें,
कुछ अपनी कुछ उनकी सुन लेंगे,
आज हम बात समूची कर लेंगे।
रिश्तों में आई जो दरारें,
आओ, उनकी भरपाई करें,
उनकी सलाह पर कुछ गौर करें,
सुनकर समझने की कोशिश तो करें।
देखो, सब बातों का हल निकलेगा,
बातों का सिलसिला ये चल निकलेगा,
आओ, बैठें और बात करें,
आओ, बैठें और बात करें।।जरा मुश्किल है.....
अपनो से अपनी तारीफ सुनना
जरा मुश्किल है,
अपनी सफलता की सीढ़ी में
अपनों का साथ मिलना
जरा मुश्किल है,
कोई मौका अपने
अपनो को भी दे
जरा मुश्किल है,
सफलता काअवसर दे कोई
ऐसा अपनों का दिल मिलना
जरा मुश्किल है ।।
शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान संगीता दरक माहेश्वरी