सुख-दुख साझा साथ करें,
कुछ अपनी कुछ उनकी सुन लेंगे,
आज हम बात समूची कर लेंगे।
रिश्तों में आई जो दरारें,
आओ, उनकी भरपाई करें,
उनकी सलाह पर कुछ गौर करें,
सुनकर समझने की कोशिश तो करें।
देखो, सब बातों का हल निकलेगा,
बातों का सिलसिला ये चल निकलेगा,
आओ, बैठें और बात करें,
आओ, बैठें और बात करें।। संगीता दरक माहेश्वरी
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