रुकिये साहब..😷 rukiye sahab

रुकिये साहब.....😷
ये कोरोना है जनाब (साहब)
फर्क  किसी में नहीं करता
हाथ में दस्ताने मुहँ पर मास्क
और सेनेटाइज से ये डरता
सर्दी खाँसी और सांस लेने में 
यदि हो परेशानी
करोना बिलकुल आनाकानी
हो जाओ कोरोंटाइनऔर रखो सावधानी 
यूँ छुपने छिपाने से
कोरोना नही हारेगा
इसे इलाज से  ही ज़ीतना होगा

(डॉ और पुलिस की सेवा को मेरा नमन)
माना कि ये फर्ज है उनका
पर देश तुम्हारा भी तो है
बेटा वो भी किसी का होगा
राह उसकी भी कोई  देखता होगा
कैसी ये पूजा और  कैसी  इबादत
करता नही जो
इंसानियत की हिफाजत
रहो घर में यूँ सबकी
मुश्किलें ना बढ़ाओ
अपनी और अपनों की जान बचाओ
ये कोरोना है साहब
फर्क किसी में नहीं करता !
              संगीता दरक
            सर्वाधिकार सुरक्षित

2 comments:

  1. सामयिक और सटीक, इस छोटे से जीवाणु ने सारे भेदभाव मिटाकर ये साबित कर दिया कि काल का कोई धर्म नहीं।

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