जैसे खाली पन्ने, blank pages

      जिंदगी जैसे खाली पन्ने
लफ्जो से पूछो कोई,
क्या कुछ सहा है
कभी ख़ामोशी से ,तो कभी चीखों से
सब्र से कभी तो बेसब्री से
मतलब से कभी बेमतलब होने लगे
आजकल बड़े खामोश रहते है
लफ्ज किसी से कुछ कहते नही है,
और बस में किसी के रहते नही
अहसासों की कमी सी हो गई है,
जिंदगी खाली पन्ने सी हो गई है।
                     संगीता दरक
              सर्वाधिकार सुरक्षित

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