जिंदगी जैसे खाली पन्ने
लफ्जो से पूछो कोई,
क्या कुछ सहा है
कभी ख़ामोशी से ,तो कभी चीखों से
सब्र से कभी तो बेसब्री से
मतलब से कभी बेमतलब होने लगे
आजकल बड़े खामोश रहते है
लफ्ज किसी से कुछ कहते नही है,
और बस में किसी के रहते नही
अहसासों की कमी सी हो गई है,
जिंदगी खाली पन्ने सी हो गई है।
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
जैसे खाली पन्ने, blank pages
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हिंदी दिवस हिंदी के कच्चे हिंदी भाषा
हिंदी के कच्चे आजकल के ये बच्चे, हिन्दी के कच्चे, आती नहीं हिन्दी की गिनती छोटी बड़ी ई की मात्रा समझ नहीं आती भागते अंग्रेजी के पीछे हिन्द...
-
नमस्कार दोस्तो आज मेरी रचना का विषय है " माहेश्वरी हैं हम" जी में भगवान महेश से उतपन्न माहेश्वरी समाज की बात कर रही हूँ माहेश्...
-
कोरोना को हराना है पडी है देश पर कोरोना की मार मिलकर करो इस पर प्रहार थोड़ा सा धैर्य और संयम रखो ना जाओ बाजार लगाओ ना भीड़ रखो दूरियां स...
No comments:
Post a Comment