भूख का एहसास कोई भूखा व्यक्ति ही करः सकता है, जिसे पकवान मिलते हो और भूख से पहले ही भोजन मिलता हो वो भूख को नही समझ सकता, और भूख के सामर्थ्य
को भी नही, ये भूख इंसान से क्या क्या करवाती है ।पढ़िये मेरी पसंदीदा रचना
ये मैंने कोरोना महामारी के दौरान पलायन करते मजदूरों पर लिखी
"भूख" से पलायन
भूख होती क्या? हमें नही पता
हमने देखा और ,पढ़ा है बस ।
क्यों की हमारी भूख की
दस्तक से पहले ही,भोजन
हमारे सामने होता हैं
हमारी भूख का सामर्थ्य,
हमे पता ही नही,
की ये क्या- क्या करवाती है।
ये भूख गाँव को
शहर ले आई थी।
मिटा न पाया शहर तो आज
फिर भूख गाँव लौट आई।
भूख से भागना और
जीने की लालसा,
देखती है आँखे, हजार बातें
किसे भूख नजर आईऔर
किसी ने अपनी भूख मिटाई।
फिर पिसता है आदमी ,
अपनी ही किस्मत के पाटो में
मजदूर मजबूर है
अपनी भूख के हाथों।।।
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
shandaar
ReplyDeleteshandaar
ReplyDeleteसत्य चरितार्थ कर दिया आपने
ReplyDelete👌👌👌
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