तुम हाँ तुम❤️
साँसों से जो गुजरता है ,
वो पल हो तुम !
धड़कनों की रफ्तार हो तुम,
मेरा दिल जो सोचे,
वो ख्याल हो तुम !
मेरी आँखे देखे, वो सपना हो तुम !
दर्द में जो राहत दे ,वो दवा हो तुम!
ख़ुशी का एहसास हो तुम,
क्या कहूँ तुम्हे ,तुम जीने
का अंदाज हो !
जीना सीखा दे वो अदा हो तुम !!
"मेरी हर साँस तुमको
छूकर गुजरती है
यादो से तुम्हारी ,
मेरी तन्हाई भी महकती है।।।।
❤️✍️संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
#तुम ही तो हो, #love#shyari
वो पिता ही तो है vo pita hi to h
पिता हर दिन जीता है ,अपने बच्चो के सपनों के लिये , जीवन की धुप में पिता एक घने वृक्ष की भांति हमे छाव देता है , पिता अपने बच्चो की ख़्वाहिशों को पूरा करने में कोई कमी नही करते ।पढ़िये मेरी रचना पिता ही तो है
"पितृ दिवस पर एक बेटी कीतरफ से"
पिता ही तो है
शिशु के एहसास,को जो जीता है
वो पिता ही तो हैं ।
उसके सपनो में ,जो रंग भरता है।
पल-पल उसके लिये सवँरता बिखरता है।
वो पिता ही तो है!!
उसके(बच्चे) कदम-कदम पर, जो अपनी हथेली बिछा देता है।
कभी उसे सर पर तो कभी कांधे पर बिठा लेता है ।
वो पिता ही तो है!!
जमीं पर,सितारे बिछा देता है।
बिन मांगे जो हर ख्वाहिश पूरी कर देता है।
उसकी साँसो में जो जीता है।।
वो पिता ही तो है,
जो बच्चे के जन्म के समय एक बार ,फिर जी उठता है!!
हाँ वो पिता ही तो है
✍️संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
मैं और मेरा मोबाइल,me and my mobile
मैं और मेरा मोबाइल
मै मोबाइल सा,
और मोबाइल मुझसा हो गया
पहले हम इसे चलाते थे
अब ये हमें चलाता है
देखो दिन ये कैसे दिखलाता है
रिश्तों का नेटवर्क
आजकल मिलता नही
अपनों का प्यार वाला ,रिश्तों का प्लान ज्यादा दिन चलता नहीं
इनकमिंग आऊंटगोइंग
एक साथ रह सकते नही,
वैलेडिटी ,लाइफ टाइम की
हम दे सकते नही
देखो व्हाट्सएप पर
चैटिंग चल रही है
सास बहू की सेटिंग बिगड़ रही है
ऑन लाइन सब कुछ मिलता यहाँ,
मन फिर भी शांति के लिए
भटक रहा है
फेसबुक के चेहरों से,
देखो नजर इनकी हटती नही
अपनों की सूरत पढ़ने की
फुर्सत मिलती नही
नेट पर,हर रिश्ता देखो
सेट हो रहा है
नेट पेक खत्म तो ,
सब ख़त्म हो रहा है
वैलिडिटी,बढ़ानी हो तो
बात कर लो,
सस्ता कोई समझौते का
प्लान कर लो
सुबह सवेरे व्हाट्सएप
की खिड़की से, ऑनलाइन
के सूरज को ताकते है
खिड़की से अगल बगल झाँकते है
पोस्ट प्रोफाइल और सेल्फी
के चक्कर में हम ऐसे पड़े हैं,
कहाँ कहाँ और कैसी जगह खड़े है
साथ किसी का हो न हो,
बस ढेरो से लाइक हमें चाहिये
"रिश्तों का लैंड लाईन वाई फाई
के चक्कर में बिगड़ गया,
नेटवर्क मिलाने की आस में हम
ऊपर (पशिचमीसंस्कृति)
की ओर बढ़े जा रहे है
और पैरो तले की जमीन (संस्कार) खोते जा रहे"
अपनों की भीड़ में आज भी अकेले हम चैट किये जा रहे।
आज भी अकेले हम,,,,,
✍️संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
आदमी हूँ मैं , i am human
मेरी रचना का विषय है "आदमी हूँ मैं" हम इंसान भी अपने आप से प्रतिस्पर्धा करः रहे है पढ़िये ......
आदमी हूँ मैं
आदमी हूँ आदमी की तरह
सोचता हूँ ।
दौड़ में आगे निकलने के लिए,
अपने आप को पीछे धकेलता हूँ।।
कभी अपनी परछाई ,
पाने के लिएअपने आप को
मिटाता हूँ
कभी जीने के लिए ,
अपनी ही साँसों को छिनता हूँ।।
गम को सहने के लिए ,
अपनी ही हँसी को तोड़ता हूँ।।
आदमी हूँ हर वक्त ऊपर उठने
की सोचता हूँ।।
✍️संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
नारद जी और कोरोना ,korona ,
कोरोना महामारी से सभी परेशान हो गए मेरे मन में विचार आया की पृथ्वी पर जब कोरोना महामारी भयानक रूप में फैल रही है तो ईश्वर भी कुछ करः रहे होंगे बस ऐसा सोचते सोचते ये रचना बन गई आप भी मेरे साथ कल्पना की उड़ान भरिये और ईश्वर की अदालत में हम पृथ्वी वासियों का मुकदमा देखिये
एक दिन नारद जी का पृथ्वी भ्रमण
और कोरोना को देखना:-
पृथ्वी पर कोरोना की हाहाकार को देखकर ,
नारद जी ने चिंता जताई ।
और जाकर बात ब्रह्मा जी को बताई !!
सुनकर ब्रह्माजी ,ने सभी देवगणों
की सभा बुलाई।
सभा में नारद जी ने विस्तृत में
बात बताई !!
चीन नामक देश से आया
एक कीड़ा कोरोना,
पृथ्वी पर जिसने काफी उत्पात मचाया ।
पृथ्वी वासियों ने "लॉकडाउन" नामक शस्त्र से अपने आप को बचाया !
महीनों बंद रहे गाँव और शहर,
थमा नहीं फिर भी कोरोना
का कहर ।
प्रभु उपाय अब आप ही कुछ बताऐ
इतने में बोले वरुण देवता - प्रभु मेरा जल शुद्ध हो गया,और
भागीरथी माँ गंगा पावन हो गई!!
पवन देव भी मुस्कुराये,
बिल्कुल प्रभु मैं भी
खुल कर जी रहा हूँ।
मानो अमृत पी रहा हूँ!!
इतना सुन पक्षीराज से भी
ना रहा गया बोले,
आसमाँ लगता है अब हमारा,
चारों ओर हमने अपने पंखों को पसारा!!
इतने में बोले महादेव ,
बढ़ गया पृथ्वी पर पाप अनाचार ।
करती है प्रकृति भी इन पर प्रहार,
रखना होगा मनुष्य को यह याद !!
मशीन बना मानव
कुछ पल के लिए रुक गया ।
धर्म और संस्कृति से जुड़ गया !!
बोले नारद जी मानव स्वभाव तो करता आया है भूल ,
प्रभु संकट से तो आप ही तारों
बोले ईश्वर ,बस कुछ दिन की है बात ,
रखना होगा थोड़ा धैर्य
और करनी होगी प्रकृति की सुरक्षा!!
फिर सब ठीक हो जाएगा यह कोरोना भी दुम दबाकर भाग जाएगा !!
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
ऐ तकदीर,my luck,destiny
कहते है कि जो भाग्य में होता है वही मिलता है ,वक्त से पहले और तकदीर से अधिक किसी को कुछ नही मिलता
आज इसी विषय पर मेरी रचना
ऐ तकदीर
ऐ तकदीर, तुझसे करुँ क्या गिला
मेरे हिस्से में था, जो मुझे मिला
कदम मेरे भी उठे थे ,मंजिलों की तरफ
कारवाँ भी था ,पर हमसफर ना मिला
ऐ तकदीर तुझसे करुँ क्या गिला
जब अपना कोई ना मिला
होठों पे हसीं मैं भी लाती रही
अश्कों कोअपने छुपाती रही
चेहरे पर चेहरा लगाती रही
ऐ तकदीर तुझसे करुँ क्या गिला
जब आईना ही बेवफा मिला
आशियाना मैंने भी बसाया था
थोड़ा आसमां मैंने भी बचाया था
सितारों से सजाया था
ऐ तकदीर तुझसे करुँ क्या गिला
सितारों भरा आसमा मुझे न मिला
कश्ती होती मेरी भी किनारों पर
किस्मत होती जो मेरे साथ
ऐ तकदीर........
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
👊#तेरा पाला हमसे पड़ा है# ja korona ja
"👊तेरा पाला हमसे पड़ा है"
जा कोरोना जा 😷
जानता नही तेरा पाला किससे पड़ा है ।
तू अभी मेरे हिंदुस्तान में खड़ा है!!
अरे तूने ,हमको घरों में कैद कर दिया।
बरसो बाद हमने अपनों के साथ जिया !!
माना छीन ली तूने बाजार की रौनके ,
पर मेरे घर की रौनक को बढ़ा दिया!!
तेरे आने से हवाएँ, मेरे शहर की साफ हो गई।
मैली थी जो गंगा आज वो निर्मल और स्वच्छ हो गई!!
अरे, जो दौड़ता था आदमी वो कुछ देर के लिये सुस्ताने लगा ।
वो सड़के जो लहूलुहान हो जाती थी कुछ दिनों के लिये खुशियो के रंग में रंगी है!!
बरसो से जो गाँव तरस गए अपनों के लिये, तेरे कारण वो घर लौट आये !!
अरे ,मुस्कान बसती है दिलो में होठों की कहाँ जरूरत ।
मुस्कुरा लेंगे हम आँखो से बच लेंगे तुझसे तो चेहरा छिपा के !
हमारी पुरानी संस्कृति नमस्कार को अपना लेंगे
अरे तेरे कारण बच्चो को रामायण महाभारत देखने को मिली।
ऐ कोरोना, माना तूझसे मेरे देश की अर्थव्यवस्था तो गड़बड़ाई ।
पर (कोरोना योद्धा) लोगो ने भी खूब नेकी निभाई !
कितनो ने बढ़ाए मदद के हाथ
दिया ,
सबने भरपूर दिया साथ !!
अरे तेरे कारण हमें अपनों (स्वदेशी) की पह्चान हुई
बंद हुआ!!
बच्चो का फ़ास्ट फ़ूड खाना,
फालतू बीमारियों में पड़ना । और डॉ के यहाँ पैसे भरना !!
माना की, तेरे कारण बंद हो गये
हम महिलाओं की किटी पार्टी
और घूमना फिरना और शॉपिंग करना ।
कड़कड़ाती सर्दी ,लू तपाती गर्मी और बरसात ,ओले और तूफान और अपनों के गम और खुशियाँ सब उत्सव की तरह हम मना लेते है।
अपना इम्युनिटी पावर तो वैसे ही स्ट्रांग है ।
तू कर अपनी फ़िक्र !
जा कोरोना जा ,
जानता नही तू कहाँ खड़ा है! तेरा पाला हमसे पड़ा है !!!!
संगीता दरक©
#आयो जमानो कैसो,# change# #naya jamana
नयी पीढ़ी में आये बदलाव को पढ़िए,मेरी मालवी भाषा की कविता में और आनन्द लीजिये
"आयो जमानो कैसो "
आयो जमानो कैसो यो नी पेला जैसो
मोबाइल से मैसेज भेजे,
इंटरनेट से करे चेटिंग ,
माँ बाप से पेला हो जावे सेटिंग! !
छोरा-छोरी में फर्क नहीं पेला जैसो,
छोरिया ले जावे बराता,ने छोरा वारा मुंडो ताके ।
हाथ जोड़कर स्वागत करें वाको आयो जमानो कैसो यो नी पेला जैसो
(आजकल के बच्चे ,युवा)
सुबह को सूरज तकिया में छुप गयो,
ने ताजी हवा ने A.C. निगल गयो ।
पैदल तो ई चाले कोनी,
बाईक बिना हाले कोनी ।
आयो जमानो कैसो,
यो नी पेला जैसो।
आजकल का टाबरा (बच्चे) ने नी भावे रोटी साग ,
ई तो खावे बर्गर पिज्जा और हॉट डॉग !
परिवार ने टाइम ई नी देवे ,
टी वी ,मोबाइल को ज़ीव ले वे !!
(आजकल की बहुए)
अक्षरा सी (सीरियल की बहू) रेवे ,
ने बात- बात में हाईपर हो जावे ।
कमर में राखे मोबाइल जाणै के तलवार !
पेला तो ई छोटो परिवार चावै,
पेला तो ई छोटो परिवार चावै
ने फेर मामा भुवा कठे से लावे
आयो जमांनो कैसो यो नी पेला जैसो
आयो जमानो कैसो यो नी पेला जैसो
संगीता दरक माहेश्वरी
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ये दोस्ती ,this friendship ,Dosti, friend ship day
सारे रिश्तों में सबसे खूबसूरत एक रिश्ता दोस्ती का जिसमे न कोई बंधन न स्वार्थ
सच में सच्चा मित्र जीवन के लिए अनमोल खजाने की तरह है
आज की रचना दोस्ती के नाम,
दोस्ती के नाम👏
हर मोड़ पर, मिलता है कारवाँ
पर तुमसा नहीं कोई यहाँ
सितारे बहुत है जहाँ में,
लेकिन तुमसा उजाला नही
मिलते है बहुत ,
बेगानों में अपने ,
पर तुमसा ना कोई मिला
ये दोस्ती जिसपे हमें नाज है
तुम होतो ये हमारे पास है
संगीता दरक
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पत्थर हूँ मैं,i am stone, Pather hu m
पत्थर हूँ मैं
तराशते रहना तुम,पत्थर हूँ मैं ।
ढल जाऊँगी एक दिन ,तुम ढालते रहना ।।
रच देना कोई रूप ,
एक दिन रचनाकार हो तुम ।
पत्थऱ हूँ मैं ,तुम तराशते रहना ।
दे दोगे कोईआकार,तो सवँर जाऊँगी ।
वरना सबकी ठोकरे ही खाऊँगी ।
तुम झरते नीर से बहते रहना ।
देखना पत्थऱ दिल से ,
मैं भी नर्म हो जाऊँगी।
किसी की राह का रोड़ा नही बनना मुझे ।
बना सको तो ,किसी मंदिर की सीढ़ी बना देना ।
कदम पड़े मुझ पर ,जो ईश्वर दर्श को जाये ।
पत्थर हूँ मैं ,तुम तराशते रहना ।
या बन जाऊँ नींव का पत्थर ।।
हाँ पत्थर हूँ मै ,तुम तराशते रहना!
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
बन बैठा हर कोई :हिन्दीकविता:#kavi#kaivita #shorts
शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान संगीता दरक माहेश्वरी
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नमस्कार दोस्तो आज मेरी रचना का विषय है " माहेश्वरी हैं हम" जी में भगवान महेश से उतपन्न माहेश्वरी समाज की बात कर रही हूँ माहेश्...
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कोरोना को हराना है पडी है देश पर कोरोना की मार मिलकर करो इस पर प्रहार थोड़ा सा धैर्य और संयम रखो ना जाओ बाजार लगाओ ना भीड़ रखो दूरियां स...