मंजिले वही थी हमने राहें बदल ली,
कारवां वही था हमने हमराजबदल लिया ,
फिजा भी वही मौसम भी वही था,
हमने अपना मिजाज बदल लिया ।
संगीता दरक माहेश्वरी©
फिजा भी वही मौसम भी वही था,
हमने अपना मिजाज बदल लिया ।
संगीता दरक माहेश्वरी©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान संगीता दरक माहेश्वरी
वाह
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