मन की बातें ....
मन की बातें मन ही जाने,या जाने वो, जो इस मन को पहचाने ।
कभी खुश तो कभी उदास,
कभी टूटती उम्मीद सा ,तो बनती कभी आस।
होता मन जो साथ ,तो होते मन से काम।
जो होता न साथ तो अनमने से होते काम ।
खूब समझाते इसे ,समझता भी है।
पल भर में रूठता भी है।
कभी मान जाता, तो कभी मनाता भी है।
कितने ही रंगों से ,आने वाले पलो को ये सजाता भी है।
कितने ही उम्मीदों और ख्वाबो को बुनता,
कभी अपनी तो कभी दूजे मन की सुनता।
सोचती हूँ ,रहता कहाँ ये मन,
जो इतने खेल दिखाता
दिल मे जो रहता, तो ये इतने हिसाब न लगाता।
और रहता जो दिमाग में, तो इतना दिल न दुखाता।
कभी कुछ कहने का , तो कभी
कुछ करने का होता मन ।
जाने क्या- क्या करता ये मन।
मन की बातें मन ही जाने,
ये कहाँ किसी की माने।
संगीता दरक माहेश्वरी©
अति सुंदर बात, क्योंकि ये है सबके मन की बात👌
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