राजनीति में नेताओ की करतूत देखिए
सत्ता के मद में राम के अस्तित्व
को नकार रहे हैं
उसी पर मेरी कुछ पंक्तियाँ
है राम तुममें, तो मुझमें भी है
न हो तू भ्रमित
अरे जिनसे हैं ये पंच तत्व
उनका क्या नहीं हैं अस्तित्व
नादान हैं वो जो राम को नहीं जानते
आत्मा में परमात्मा को वो नहीं मानते
बैठे थे मेरे राम जब तम्बू में
अब मिल रहा उन्हें जब मंदिर
क्यों करते हो राजनीति
जो राम का नहीं
वो काम का नहीं
है धरा से अम्बर तक
सत्ता जिनकी
उनको किसी सत्ता का
कहना बेकार है
ये इंसानियत नहीं
कुर्सी का अंहकार है
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