"महिला दिवस" के अवसर पर पढ़िए मेरी कलम से उम्मीद करती हूँ आप सबको पसंद आएगा🙏🙏
ये औरते बेहद अजीब होती है
"एक पौधा जब जमीन छोड़ता है तो बढ़ता नही लेकिन एक बेटी जब अपने घर से ब्याह कर के पराये घर जाती है तो पूरे घर को संवार देती हैं"
ये औरते बेहद अजीब होती हैं
जहाँ पैदा होती हैं वहाँ ये रहती नही,
माँ का आँचल छोड़ आती हैं भले ही खुद माँ बन जाती है पर माँ को ये भूलती नही ।
पराये घर को कब अपना बना लेती है ,अपनी पसंद अपने शौक सब छोड़कर कब नये सफर पर हमसफ़र के साथ चल पड़ती है ।
नये रिश्तो के साँचे में ढलकर रिश्तों को सँवारती सजाती
अपने हर ख़्वाब को उसकी(पति) आँखों में देखती।
सहजता से सहेजना बखूबी आता है हमे,
परिस्थितियों को भांपकर आंसुओं को थामना और होठों पर मुस्कान बिखेरना बखूबी आता है हमे ।
सच में हमऔरते बेहदअजीब होती है।
अपनी पसंद नापसंद को बदलना और परिवार में सबके साथ पूर्ण रूप से सामंजस्य बैठाना कोई सीखे हमसे।
मायके में अपनी उपस्थिति को महत्वपूर्ण बनानाऔर ससूराल और मायके में तालमेल बैठाना बहुत सहजता से कर जाती है हम
रात-रात भर बच्चों के लिए जागना और बड़े होने पर उनके लिए हर कदम पर साथ खड़े रहना ।अपने सींचे हुए संस्कारो को अपने बच्चों को देना।बेटी बहन पत्नी माँ और सारे रिश्तो के छोर हमसे जुड़ें उनको बखूबी निभानाआताहै सच में हम औरतें बेहद अजीब होती है।
अपनी सेहत का ख्याल रखे ना रखे पर सबके लिए डॉक्टर से कम नहीं और सैलरी का महीने के आखिरी दिन तक चलाने का हुनर हमसे बेहतर किसी के पास नहीं सच हम औरते बेहद अजीब होती हैं। अपने अधूरे सपनों को लेकर बच्चों के लिए नए सपने बुनना जीवन के हर मोड़ पर सबके लिए मौजूद रहना ।
बेटी से औरत तक के सफर की कहानी में हर पात्र में जान डाल देती है ।यही बेटी बहन पत्नी माँ और इन रिश्तों के पहलू में ढेर सारे रिश्ते जिनको पनाह मिलती है इनकी सहनशीलता सामंजस्य और स्त्रीत्व में !
"माँ का आँचल अम्बर सा
गोद माँ की धरा हो जैसे"
✍️संगीता दरक©
आप सभी को महिला दिवस की बधाई
Shi bat h
ReplyDeleteबहुत खूब 👌
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