""मैं जिंदगी हूँ, कोई बोझ नही""
दो वक्त की रोटी,
और कुछ लिबास
क्या मांग लिया तुझसे ,
मैंने ऐसा खास
जो तू हजार ख़्वाहिशों
के बीच मुझे
जीना ही भूल गया
संगीता दरक©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
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