लम्हा लम्हा

लम्हा लम्हा
ऐ जिंदगी तेरे दाँव पेच से हार गया
मैं, अपने कर्मो को करते रहा बस
पाप पुण्य न देखा मैंने ,बस कर्म ही करता रहा
              संगीता माहेश्वरी दरक
                 सर्वाधिकार सुरक्षित

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बन बैठा हर कोई :हिन्दीकविता:#kavi#kaivita #shorts

 शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि  यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान         संगीता दरक माहेश्वरी