मेरा स्वाभिमान
लाई थी साथ ,मैं
अपने स्वाभिमान को।
पर साथ अपने रख ना पाई ।
स्वाभिमान के साथ रिश्तों को
निभाना कठिन लगता है ।
स्वाभिमान जब साथ होता है,
तो रिश्ते सिमटने लगते है।
और जब अपने स्वाभिमान
को पुराने कपड़ो की
तह के नीचे रख देती हूँ तो ,
सब सहज हो जाता है
संगीता दरक©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
मेरा स्वाभिमान,my self respect
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Very good
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