ये दर्द

रिसता है ये दर्द धीरे -धीरे
पिघलकर आँखों से उतरता है
और कागज पर आकर शब्दों
में ढल जाता हैं।
                संगीता दरक© 

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बन बैठा हर कोई :हिन्दीकविता:#kavi#kaivita #shorts

 शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि  यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान         संगीता दरक माहेश्वरी