मैं सामान्य , ये हर सामान्य व्यक्ति का ऐसा दर्द है जो बंया करना जरूरी है पढ़िये और अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे
मैं सामान्य (General)
मैं सामान्य,मेरी हर बात सामान्य।
जन्म लेते ही एक शब्द,
पीछे पड़ जाता है,
और सारी सुविधाओं के बीच,
अड़ जाता है।
मैं सामान्य,रहते हुए आगे बढ़ता हूँ।
परीक्षा हो या नोकरी का फार्म,
रेलवे का रिजर्वेशन,
हो या हो राशन कार्ड
"सामान्य" का ठप्पा लगा रहता।
मैं सामान्य सी बात समझता,
और जी जान लगाकर पढ़ता,
आगे बढ़ता पर बढ़ ना पाता।
कर जीने का मैं भी चुकाता हूँ।
फिर भी सारी सुविधाओं से
वंचित रह जाता हूँ।
जब हर बात में,
मैं सामान्य तो बुद्धि में क्यों ?
मैं खास हो जाता हूँ।
क्यों मेरे 60% और उनके 40%
क्या मैं विलक्षण हूँ ,
यदि हाँ तो मैं उच्च हूँ
फैसला आपका है,बताइये
मुझे सामान्य श्रेष्ठ बनकर जीना है।।।
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
कटु सत्य है ये संगीताजी, एक महान व्यक्ति जो शिक्षा का पुरजोर समर्थन रखते थे ,उन्होंने ने भी यही कहा था कि ये आरक्षण एक दिन हम सामान्य लोगों को निगल जाएगा।
ReplyDeleteवोट bank के नाम की राजनीति ने हमारी मेहनत का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है।
बहुत ही प्रभावशाली रचना हैं आपकी।👌👌👍👍
बहुत खूब
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