व्यंग्य :- वाहः नेताजी,

   व्यंग्य वाह नेताजी 

आज सुबह मुझसे,
नेताजी ने नमस्कार किया। 
उस दिन से मेरे साथ चमत्कार हुआ ।
जो मुझसे, बोलने में कतराते थे ।
मुझे देख, जरा ज्यादा इतराते थे।
उन्होंने आकर मुझसे पूछा ,
क्यों भाई क्या बात है।
बड़े बड़े तुम्हारे साथ हैं ,
पहचानते हैं क्या ?
मैं बोला पहचानते क्या,
जानते हैं, घर पर आते जाते हैं।
वे बोले चलो अच्छा है,
तुम भी अपने वाले हो ।
मैं सोचता रहा ,और
मन ही मन मुस्कुराया।
और कह उठा ,
वाह क्या चीज  है नेता।।।
                संगीता दरक
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