हिंदी दिवस हिंदी के कच्चे हिंदी भाषा

 

हिंदी के कच्चे

आजकल के ये बच्चे, हिन्दी के कच्चे,

आती नहीं हिन्दी की गिनती

छोटी बड़ी ई की मात्रा समझ नहीं आती

भागते अंग्रेजी के पीछे 

हिन्दी इनको नहीं सुहाती

कहाँ लगाना चन्द्रमाँ 

कहाँ लगाना बिन्दी

लिखावट ऐसी कहते 

नहीं लिखना हमें हिंदी

होली दिवाली हो गए 

हैप्पी होली हैप्पी दिवाली

हिन्दी की मिठास अपनापन

 हिन्दी की बात निराली

बचपन में आईज इयर

 नोज खूब सिखाया

मेहमानों के आगे 

अंग्रेजी का जोर जमाया

लेकिन माँ को पता 

ही नहीं चला

पहली बार बच्चा 

कब माँ बोला।।

छंद लेखन #chhand #मलयज



मलयज छंद 


मिलजुल कर रह।

दुख हँसकर सह।

सब सच-सच कह।

जल बनकर बह।


मत  रुक  अब चल। 

शुभ  नित नभ-थल।।

मन  सुख  हर  पल।

सुन हिय कल-कल।।

 

    संगीता दरक माहेश्वरी

Bs jra sa #shorts #bs jra sa #shortsfeed #selfi #chat #phone #mobile #friend #

 

बस जरा सा

चकाचौंध बहुत हुई

बस रौनक जरा कम हो गई

सेल्फी में मुस्कान बहुत हुई

आँखें अपनो की जरा नम हो गई

 फोन पर चैट बहुत हुई

अपनो से बातें जरा कम हो गई

दौलत शोहरत बहुत कमाई

सुक़ून शांति जरा कम हो गई 

 फ्रेंड लिस्ट लंबी चौड़ी हो गई

अपनो की फेहरिस्त जरा कम हो गई 

जीने की  ख्वाहिशें बहुत  हुई

बस जरा सी उम्र कम हो गई

  

समाचार समाप्त हुए #update #shorts #hindikavita #samachar #durdarshn #news

 

समाचार समाप्त हुए



पहले दिनभर में समाचार आते थे

अब समाचार दिनभर आते है 

नमस्कार से शुरू होकर 

नमस्कार पर खत्म होते थे

देश दुनिया के बारे में

जानकारी देते थे

न कोई ब्रेक न कोई डिबेट

शालीनता से होती थी बस भेंट

दूर से दर्शन करवाते पर

 हर खबर हम तक पहुँचाते

अब भीड़ लगी है समाचारों की

पर कोई समाचार जान नहीं पड़ता

नंबर वन की होड़ लगी है 

समाचारों की किसको पड़ी है 

अमुक अमुक को बुलाकर 

बहस करवाई जाएगी

फिर किसी के बिगड़े बोल पर 

नई हेडलाइन बन जाएगी

सिलसिला चलता रहेगा 

नई खबर मिलने तक


   संगीता दरक माहेश्वरी

   


बन बैठा हर कोई :हिन्दीकविता:#kavi#kaivita #shorts

 शॉल श्री फल और सम्मान

मिलना हुआ कितना आसान

बन बैठा हर कोई कवि  यहाँ

कविताओं की जैसे लगाई दुकान

        संगीता दरक माहेश्वरी

आओ बैठें बात करे #हिन्दीकविता #silsila #poetry #poetrycorner

                     आओ, बैठें और बात करें, 

सुख-दुख साझा साथ करें,

कुछ अपनी कुछ उनकी सुन लेंगे,

आज हम बात समूची कर लेंगे।


रिश्तों में आई जो दरारें, 

आओ, उनकी भरपाई करें,

उनकी सलाह पर कुछ गौर करें,

सुनकर समझने की कोशिश तो करें।


देखो, सब बातों का हल निकलेगा,

बातों का सिलसिला ये चल निकलेगा,

आओ, बैठें और  बात करें,

आओ, बैठें और बात करें।।
   
       संगीता दरक माहेश्वरी      

जरा मुश्किल है #hindikavita #jra #youtubeshorts

 जरा मुश्किल है.....

अपनो से अपनी तारीफ सुनना 

जरा मुश्किल है,

अपनी सफलता की सीढ़ी में 

अपनों का साथ मिलना 

जरा मुश्किल है,

कोई मौका अपने 

अपनो को भी दे

जरा मुश्किल है,

सफलता काअवसर दे कोई 

ऐसा अपनों का दिल मिलना

जरा मुश्किल है ।।

संगीता दरक माहेश्वरी

#क्यों कब और कैसे #श्राद्ध पक्ष #पितरों को प्रसन्न कैसे करे #क्या करे और क्या न करे @sparshbypoetry

 


  पितृ पक्ष  (श्राद्ध) 
     क्यों कब  और  कैसे 
जैसा कि हम जानते है हमारा देश त्योहारों का देश हैं ,परंपरा और रीति रिवाजो और हरेक क्षेत्र में अलग -अलग त्योहारों का महत्व और तौर तरीके।
हम हरेक त्योहार बड़े उत्साह से मनाते हैं। 
नाग पंचमी से लेकर ऋषि पंचमी जन्माष्टमी,गणेश चतुर्थी और अनंत चौदस त्योहार के बाद बारी आती है, पितरों को तृप्त करने की श्राद्ध  की ।
हमारी भारतीय संस्कृति अनूठी अद्भुत है । हमारी परंपरा हमे बड़ो का आदर और सम्मान करना सिखाती हैं। हम मृत आत्मा की शांति का भी ध्यान रखते हैं
और कहते हैं कि ईश्वर कण-कण  में बसता हैं तभी तो हम पशु पक्षियों का भी ख्याल रखते है ।
जहा हम भोजन बनाते समय सबसे पहली रोटी गाय की और आखिरी रोटी श्वान की बनाते हैं।
और जब हम श्राद्ध करते है तब भी गाय ,श्वान और कागा के हिस्से का भोजन निकालते हैं 
श्राद्ध का अर्थ
पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं।
 तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करना ही पिंडदान करना है।
 सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज १६ दिन(श्राद्ध पक्ष )में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें।
पितृ श्राद्ध में अपने घर आते है । हमने भी देखा है जिस दिन अपने घर में किसी का श्राद्ध होता है , उस दिन धूप लगाने से पहले घर के बड़े सदस्य कुछ खाते नहीं है। सबसे पहले अपने पितृ को भोजन धूप  के रूप में (गोबर के उपले को अग्नि में जलाकर उसमे खाद्य सामग्री को रखते है) करवाते हैं फिर ब्राह्मण को भोजन करवाते हैं उसके पश्चात घर के सदस्य भोजन करते है 
इन 16 दिनों में सिलाई और कुछ और कार्य नहीं किए जाते हैं ।ऐसा मानते हैं पितरों को तकलीफ होगी
 पितृ या पितर
जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है। पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते हैं , और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है।

कब बनता है पितृपक्ष का योग- 
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष के 16 दिन पितरों को समर्पित होता है। शास्त्रों अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपक्ष की पूर्णिमां से आरम्भ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता हैं। भाद्रपद पूर्णिमा को उन्हीं का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन वर्ष की किसी भी पूर्णिमा को हुआ हो। शास्त्रों में कहा गया है कि साल के किसी भी पक्ष में, जिस तिथि को परिजन का देहांत हुआ हो उनका श्राद्ध कर्म उसी तिथि को करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार यदि किसी को अपने पितरों के देहावसान की तिथि मालूम नहीं है तो ऐसी स्थिति में आश्विन अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है। इसलिये इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इसके अलावा यदि किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। ऐसे ही पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध नवमी तिथि को करने की मान्यता है।
 श्राद्ध क्यों करते हैं 
श्राद्ध से जुड़ी पौराणिक कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाभारत युद्ध में महान दाता कर्ण की मृत्यु हुई, तो उसकी आत्मा स्वर्ग चली गई, जहां उसे भोजन के रूप में सोना और रत्न चढ़ाए गए। हालांकि, कर्ण को खाने के लिए वास्तविक भोजन की आवश्यकता थी और स्वर्ग के स्वामी इंद्र से भोजन के रूप में सोने परोसने का कारण पूछा। इंद्र ने कर्ण से कहा कि उसने जीवन भर सोना दान किया था, लेकिन श्राद्ध में अपने पूर्वजों को कभी भोजन नहीं दिया था। कर्ण ने कहा कि चूंकि वह अपने पूर्वजों से अनभिज्ञ था, इसलिए उसने कभी भी उसकी याद में कुछ भी दान नहीं किया। इसके बाद कर्ण को 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी गई, ताकि वह श्राद्ध कर सके और उनकी स्मृति में भोजन और पानी का दान कर सके। इस काल को अब पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है।
इस  तरह इस तरह 16 दिन के श्राद्ध किए जाते हैं और पित्र देव को मनाया जाता है !

  

  संगीता दरक माहेश्वरी 
           

2 जून की रोटी #रोटी #2जून #जुगाड़ #2 वक्त #

 दो जून की रोटी


गोल-गोल रोटी जिसने पूरी दुनिया को अपने पीछे गोल-गोल 

घुमा रखा है। यह रोटी कब बनी यह कहना थोड़ा मुश्किल है

 पर हाँ, जब से भी बनी है तब से हमारी भूख मिटा रही है।

आज दो जून की रोटी की बात करते है,

 अक्सर कहा जाता है कि हमें दो जून की रोटी भी

 नसीब नहीं हो रही।

"दो जून की रोटी" यह पंक्ति साहित्यकारों ने, फिल्मकारों ने

 सभी जगह काम में लिया है।

फिल्मों की बात करे तो उसमें भी रोटी का जिक्र हुआ "रोटी" और "रोटी कपड़ा और मकान" जो उस समय की सुपर हिट फिल्म हुई

इतना ही नही साहित्य जगत में प्रेमचंद जी ने भी रोटी की महिमा का बखान किया

जून शब्द अवध भाषा का है जिसका अर्थ होता है समय। 

तो दो जून अर्थात् दो समय की रोटी यानी दो समय का भोजन।

जानकारों की माने तो कहा जाता है कि जून में भयकंर गर्मी पड़ती है और इस महीने में अक्सर सूखा पड़ता है।

 इसकी वज़ह से चारे-पानी की कमी हो जाती है। जून में ऐसे इलाकों में रह रहे ग़रीबों को दो वक्त की रोटी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। 

इन्हीं हालात में 'दो जून की रोटी' प्रचलन में आई होगी।


यह रोटी (Roti) शब्द संस्कृत के शब्द ‘रोटीका’ से आया और यह बात को 16वीं शताब्दी में लिखित आयुर्वेद के ग्रन्थों में भी मिलता है।

साथ ही 10 वीं और 18 वी शताब्दी में भी रोटी का ज़िक्र किया गया।

हम आदिम मानव के समय की बात करें तो,

 तब वह अपनी भूख जानवरों के शिकार और फल से 

मिटाते थे फिर आग की खोज और उसके बाद अनाज और उसके

 बाद रोटी बनी होगी जो आज जिसे लोग फुलका, चपाती,

 रोटली एवम् भाखरी वगैरह के नाम से भी पुकारते  हैं। 

यह हम भारतीयों का ख़ास भोजन है। 

आज चाहे जो फास्टफूड मिलता हो पर रोटी के बिना 

सब अधूरा लगता है।  ख़ासतौर से उत्तर भारत में जहाँ गेहूँ की पैदावार ज़्यादा है। कहा भी जाता है कि हमारी पहली ज़रूरत रोटी कपड़ा और मकान होती है ।

इसकी अहमियत का अन्दाज़ा हमारी कहावतों में भी मिल जाता है। जैसे लोग कहते हैं कि फलाने गाँव से हमारा ‘रोटी-बेटी का रिश्ता’ है।


अब रोटी चाहे गोल हो या हो कोई और आकार, पतली हो चाहे मोटी, घी में चुपड़ी हो या सूखी हो, उसके साथ प्याज हो या चटनी, दाल हो या हो ढेर सारी सब्जियाँ। रोटी ने अपनी भूमिका हरेक के साथ निभाई दाल रोटी हो या प्याज  रोटी हो रोटी ने कभी भी अपना कदम पीछे नही हटाया।

महंगे आधुनिक रसोईघर में बनी हो चाहे खुले आसमान के नीचे रोटी भूख तो मिटाती ही मिटाती है। 

रोटी ने अपने रूप भी बदले पराँठे तन्दूरी लच्छा नान और

 भी न जाने क्या-क्या ।


और इस रोटी के लिए इंसान क्या-क्या करता है, किसी को यह आसानी से मिल जाती और किसी को बड़ी मुश्किल से

 यह रोटी आलीशान महलों से लेकर झोपड़ी तक किसी अमीर की थाली से ग़रीब के हाथों में दिखाई देती है।

कहते है कि आदमी इस पापी पेट के खातिर सब कुछ करता है, यह रोटी इंसान से अच्छे-बुरे सभी कर्म करवाती है। 

ईमानदारी की रोटी से मन तृप्त हो जाती है,

 वही बेईमानी की रोटी से मन ही नहीं भरता। 

तो आप सब भी दाल रोटी खाओ और प्रभु के गुण गाओ ।।



          

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

 

होलिका दहन

आज उठाती है सवाल!

होलिका अपने दहन पर, 


कीजिए थोड़ा

 चिन्तन-मनन दहन पर। 

कितनी बुराइयों को समेट

 हर बार जल जाती,


न जाने फिर क्यों 

इतनी बुराइयाँ रह जाती।


मैं अग्नि देव की उपासक,

भाई की आज्ञा के आगे नतमस्तक।


अग्नि का वरदान था  

जला न सकेगी अग्नि मुझे,


पर जला दिया पाप, अधर्म, अहंकार ने

प्रह्लाद को, मैं जलाने चली नादान

पर बचाने वाले थे उसको भगवान।


सच आज भी तपकर निखरता है, 

और झूठ आज भी टूटकर बिखरता है। 


देती जो मैं सच का साथ,

ईश्वर का रहता मुझ पर हाथ!!!

सब्र का बाँध @sparshbypoetry #poetry #hindikavita #poetrylover #new #ttreanding


     सब्र का बाँध


 सुना है सब्र का होता है बाँध,

फिर सहनशीलता की,

 गहरी नदियों में,

जब उफान आएगा।

 और यह उफान जब बाँध की

 दीवारों से टकराएगा,

तो निश्चित ही एक दिन 

बाँध टूट जाएगा,

 और बह जाएँगे

ढह जाएँगे कई अनगिनत रिश्तें।

 जो अंहकार में जीते,

और बिन सोचे समझे 

हमारे सब्र का इम्तिहान लेते हैं।।।

        

           संगीता दरक माहेश्वरी©

हाइकु #राजनीति #दल #पार्टी #कमल #हाथ का पंजा

 हाइकु.......

नेताओं संग

राजनीति के रंग

बदले पल में


नाथ के साथ

क्या खिलेगा कमल

बनेगी बात


देंगे क्या साथ

कमल के बनेंगे 

हाथ मलेंगे


दल-बदल

इनकी चाल देखो

जिधर माल


 गठबंधन

अपना कोई नहीं

स्वार्थ के सारे 


हाथों में हाथ

 है बगल में छुरी

 घात  लगाए।।


   संगीता दरक माहेश्वरी


प्रेम का सफर #rose day #proposeday #teddyday #valintaine day #loveshyari #prem #shorts

 प्रेम में प्रपोज 

 किया तुमको 

तुम्हारी मुस्कान से

पूरे हुए अरमान

सिलसिला प्रेम का 

अनवरत रहा


प्रेम का निर्वाह 

जिम्मेदारियों के 

संग होने लगा

जीवन कई रंगों से 

खिलने लगा

सत्ता #hindikavita #ram #netao #ayodhya #Rammandir #Bjp #congress #rajniti #satta #shorts #sparshbypoetry #sangeetamaheshwari

 राजनीति में नेताओ की करतूत देखिए 

सत्ता के मद में राम के अस्तित्व

को नकार रहे हैं 

उसी पर मेरी कुछ पंक्तियाँ





है राम तुममें, तो मुझमें भी है 

न हो तू भ्रमित 

अरे जिनसे हैं ये पंच तत्व

उनका क्या नहीं हैं अस्तित्व

नादान हैं वो जो राम को नहीं जानते

आत्मा में परमात्मा को वो नहीं मानते

बैठे थे मेरे राम जब तम्बू में 

अब मिल रहा उन्हें जब मंदिर

क्यों करते हो राजनीति


जो राम का नहीं

वो काम का नहीं

है धरा से अम्बर तक 

सत्ता जिनकी

उनको किसी सत्ता का 

कहना बेकार है 

ये इंसानियत नहीं

कुर्सी का अंहकार है

धर्म #विनाश #निर्माण #विध्वंश #भाईचारा #shorts #poems #poetry #viralshorts

 धर्म होता क्या ?

धर्म का अर्थ  

होता  सत्कर्म 

अस्तित्व के लिए करता

नही कभी  अधर्म

होता नही धर्म

छोटा या  बड़ा

धर्म तो सत्य की

राह पर खड़ा


धर्म विध्वंस नहीं करता

सदा निर्माण में

विश्वास रखता

भटके को राह

दिखाए धर्म

सिखाता करने

सच्चे कर्म

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी #हिन्दी कविता #प्रचण्ड #भीष्म#नाग#परेड #सलामी #तोपो #तिरंगा #भारत #

 26 जनवरी गणतंत्र दिवस

आओ, आज हम 75 वाँ

 गणतन्त्र दिवस मनाते हैं 


21 तोपों की सलामी के

साथ तिरंगा फहराते हैं 


 विश्व के सबसे बड़े 

लोकतांत्रिक देश हम कहलाते हैं

 

प्रचण्ड, पिनाक, नाग, भीष्म हैं तैयार 

दुश्मनों को देश की ताकत हम बताते हैं


सबसे लम्बे लिखित संविधान

का गौरव मनवाते हैं

 

470 अनुच्छेद, 25 भाग

 और 12 अनुसूचियाँ

अधिकार बतलाते हैं


नये भारत की नई

तस्वीर बनाते हैं

अवध में राम #अयोध्या #2024 #22जनवरी #राम मंदिर

 प्रभु को अवध मिल गया


जनमानस भी खिल गया

  प्रभु को अवध मिल गया

  अलख जगा दी सत्य की

   विपक्ष यही हिल गया

 देखो गगन पर छाया

  चाँद को छूकर आया

  कई दिनों का संघर्ष

  है आज रंग लाया

हो  सनातन   की   जब   बात

 धर्म के नाम पर करो मत आघात

 देश  की सीमा  में  है  जो   रहना

  देश  हित  की ही   करना बात  


देश  विकसित हो   रहा 

  नए कीर्तिमान  गढ़  रहा

  विश्व  गुरु बनने  को  है

दुश्मन भी अब काँप रहा

तत्पर हैं साथ चलने को

 होड़ में थे जो आगे बढ़ने को

 हमें जो कमजोर समझते

आतुर हैं हाथ मिलाने को 


 भारत विश्व का प्रेरक बन गया

प्रभु को अवध मिल गया

सनातन संस्कृति से परिपूर्ण

सुशासन जैसा खिल गया

   

संगीता दरक

राम आएँगे #राम आएँगे#अयोध्या उत्सव #राम मंदिर #जय श्री राम

 राम आएँगे

जय श्री राम

आए प्रभु अवध

विराजे आज 


भव्य मंदिर

दीये जले हजार

फैला प्रकाश


सनातन हो

परम्परा की बात

प्रभु के साथ



राम ही राम 

हुआ है धरातल

 फैला उजास


 मिटा संकट 

हुआ है उजियारा

आए हैं राम


भगवा रंग

फैला है चहुँ ओर

मिटा तमस


 पाँच सौ वर्ष

बीता ये वनवास

आई खुशियाँ


भव्य मंदिर

सत्तर एकड़ में

जन हर्षाए


पावन माटी

सरयू का है जल

 स्वर्ण की शिला 





 

करोड़ो की बातें @sparshbypoetry

 हाइकु 


"करोड़ो के" 😃😃


रखो धीरज

ऐसा करो कमाल

हो मालामाल


मिटी गरीबी

लाए हैं ख़ुशहाली

भरी तिजोरी 


धर धीरज

हाँफ रही मशीने

अधीर जन


राजनीति में  

देखो हो रही ऐश 

भोली जनता


करोड़ों  बातें

जनता कहाँ जाने

बनें जो साहू


भरी तिजोरी 

करके भ्रष्टाचार

लोकतंत्र में


भूखी जनता

 भरपेट नेताजी

बिना डकारे



चल सखी अब की बार #हिंदी कविता#खुशियों के फूल #सखी

 चल सखी अबकी बार...

मन के आंगन में हरियाली बिछाते हैं,

खुशियों के फूल खिलाते हैं ।

उमंगो की बुँदे बरसाकर,

मीठी यादों को टटोलकर

चल सखी अबकी बार

 इसमें आस के बीज रोपते हैं।

उत्साह और जोश के मौसम में 

धैर्य का खाद देते हैं,

आत्मविश्वास की लगा झड़ी 

चल सखी अबकी बार मन के आँगन में

 हरियाली बिछाते हैं।

भरोसे के बीज से उत्साह का पौधा

 निकल आएगा,

उल्लास से हरा-भरा शाखाओं संग इतरायेगा।

कलियों की महक से मन खिल जाएगा,

चल सखी अबकी बार 

मन के आँगन में हरियाली बिछाते हैं।

             संगीता दरक माहेश्वरी

#बढ़ती उम्र विवाह की #देरी से होते विवाह

 जय महेश

विषय :-बढ़ती उम्र विवाह से जुड़ी समस्याएं व निदान

इस पर मेरे विचार


समाज में सदा सन्तुलन यथावत रखेंगे।

बच्चों का विवाह युक्त समय पर करेंगे।।

नहीं  कोई असमंजस न कोई फिक्र हो। 

हर जगह हम माहेश्वरियों का जिक्र हो।।


जीवन में हर कार्य नियत समय पर होना चाहिए, प्रकृति भी हमें यही सीख देती है सूरज उगने में कभी देर नही करता चाहे कुछ भी परिस्तिथियाँ रही हो और ढलता भी नियत समय पर।

अभी कुछ वर्षों में हमारे समाज की जटिल समस्या है बढ़ती उम्र बच्चो की, विवाह की उम्र में विवाह नहीं हो रहे जिससे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है ।

अविवाहित युवाओं के माता-पिता की दशा बहुत खराब है ।

27 से लेकर 35 वर्ष के युवा अविवाहित घूम रहे हैं।

विवाह नहीं होने के कारण:- युवाओं का उच्च शिक्षा प्राप्त न करना ,गाँव मे रहना,नोकरी के क्षेत्र में न होना या अच्छा पैकेज न होना।

या संयुक्त परिवार में रहता हो।

आज के दौर में लड़कियाँ जहां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है, और नए- नए ओहदे पर कार्य कर रही है,ऐसे में लड़कियों और उनके अभिभावकों की महत्वकांक्षा  बहुत बढ़ गई है उनको लड़का नोकरी पेशा चाहिए और तो और पैकेज भी अच्छा चाहिए और लड़का बड़े शहर में रहता हो परिवार छोटा हो ये सब कारण और इतनी मांगे जो उचित नहीं हैं विवाह विलम्ब के लिये कारण बनते है ।

विवाह की उम्र होते ही जब माता- पिता द्वारा बच्चो को कहा जाता है तब बच्चे अपने कैरियर को लेकर चिंतित रहते है और जब तक वो सैटल होते है तब तक विवाह की उम्र निकल जाती हैं।

आधुनिक चकाचौंध में युवा पीढ़ी अपने कैरियर और भविष्य को लेकर इतना गम्भीर है कि जब उनको विवाह के लिये कहा जाता है तो वो कहते है कि कर लेंगे क्या जल्दी है, ऐसा कहते कहते कब उम्र ढल जाती है पता ही नही चलता।

पहले के समय मे सम्बन्ध करवाने में मध्यस्थ की भूमिका बहुत खास होती थी, दोनों पक्ष मध्यस्थ की बात सुनते थे। और कुछ बात भी हो जाती तो मध्यस्थ की भूमिका से बात सम्भल जाती थी लेकिन चूंकि बच्चे आजकल घरवालों के कहने में ही नही तो फिर मध्यस्थ का क्या कहे।

आजकल बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर जाते है और वही रह जाते जिससे रिश्तेदार उन्हें ज्यादा जानते ही नहीं ऐसे में कोई सम्बन्ध करवाता नही और कहते है कि कौन जिम्मेदारी ले रिस्क कोन ले पता नही (लड़का या लड़की) कैसे  है ।

युवकों की बढ़ती उम्र की चिंता ने अभिभावको को दूसरे समाज मे सम्बन्ध करने को मजबूर कर दिया फलस्वरूप दूसरे समाज में हमारे समाज के सम्बंध हो रहे है 

देरी से विवाह होने पर सन्तान उतपत्ति में भी समस्या आती है 

विवाह सम्बन्ध टूटने का एक कारण ये भी है कि बढ़ती उम्र में विवाह होने से दोनों के विचार और सामंजस्य नही बैठता ।

निदान निदान 

हर समस्या को समय रहते अवश्य सुलझाना चाहिए

हम माहेश्वरीयो से  दूसरे समाज  प्रेरणा लेते है

  हमें अपने  बेटों और बेटियों को पढ़ाना चाहिए उच्च शिक्षा भी दिलाना चाहिए लेकिन  अपने संस्कार और रीति-रिवाजों से उन्हें दूर नहीं रखना चाहिए और विवाह की उम्र होते ही उनको कह देना चाहिये की विवाह की उम्र में ही  विवाह होना चाहिए पढ़ाई और कैरियर तो विवाह के बाद भी बन सकता है  अभी एक स्लोगन बहुत चल रहा है बेटी ब्याहो  और बहू पढ़ाओ इसका मतलब यही है कि बेटियों को समय से ब्याह दो और शादी बाद बहुओं को पढ़ाओ।

एकऔर बात  बेटियो के माता पिता को अपनी महत्वकांशाओ को कम रखना चाहिए और अपनी बेटी के लिए अच्छा लड़का ,सिंगल फेमेली, अच्छा पैकेज ,बड़ा शहर ये सब सोच न रखते हुए  सुसंस्कारी परिवार और कमाने वाला लड़का हो ऐसी सोच रखनी चाहिए 

समाज द्वारा समय समय पर परिचय सम्मेलन करवाने चाहिए  और सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसे ग्रुप्स बनाये जाए जिसमे एक दूसरे से सम्बन्धो की चर्चा हो सके । 

समाज के लोगो को ये समझना होगा कि समाज का  समाज मे ही सम्बन्ध हो जिससे परिवार में संस्कार आएंगे और हमारा समाज उन्नत समाज बनेगा

समाज की ऐसी समस्याओं के निराकरण हेतु समाजजन को समय- समय पर विचार विमर्श करके ठोस कदम उठाने चाहिए।

हमे अपने समाज के बच्चो को संस्कार शुरुआत से ही  देने चाहिए। ताकि युवा होने पर वो सही निर्णय ले सके।


    संगीता  दरक माहेश्वरी

      

#लव जिहाद #संभल जा ये इश्क है न प्यार#love#eshk#dharm#sanskar

 


 संभलना होगा तुमको

यूँ जिंदगी के फैसले चंद लम्हों
में  किया नहीं करते,
अपनी एक मुस्कान पर जान
 लुटाने वाले को जिंदगी भर का
 गम दिया नहीं करते।

नौ महीने जिस माँ ने रखा 
तुम्हें कोख में
  तेरे सपनों  को पिता ने  
किया हरदम पूरा,
ऐसे माता-पिता को छोड़
 दिया नही करते।

जिसके लिए तू रिश्तों को 
तोड़ रही है,
अपनी किस्मत की लकीरों
 को मोड़ रही है।

तेरे सर पर है जो सवार,
सम्भल जाना
 ये इश्क है ना प्यार।

किसी दिन तुम्हें छोड़ देगा,
तेरे विश्वास के टुकड़े-टुकड़े
कर देगा।

तेरे अपने तो तेरा साथ  देंगे
तुम्हें गले से भी लगा लेंगे।

पर सम्भलना तुम्हें होगा,
यूँ गलत राह से बचना होगा।

संस्कार और धर्म के महत्व को
समय रहते समझ लेना,
अपनी जिंदगी को सँवार लेना।

परिवार करे तुम पर गर्व
काम तू ऐसे कर लेना ।।।
           संगीता दरक माहेश्वरी

#दोस्ती #friendship #यारी #मित्रता

  दोस्ती   सुहाना  अहसास  है।

  सभी  रिश्तों  में  ये  खास  है।

  बड़े भाग्य से मिले एक दोस्त, 

  समझ  लो  कायनात पास है

#ये किताबें #बुक्स #विश्वपुस्तकदिवस

 ये किताबें

खामोश रहकर भी कितना
सिखाती,
काम की थकन को पलों में
मिटाती,
बीते पलों को फिर से
खिल-खिलाती,
सारे ज्ञान को अपने में
दर्शाती,
जीवन जीनें की नित राह
दिखाती,
होता मन उदास जो साथ
निभाती,
लेपटॉप,मोबाइल में खो
जाती,
ये किताबें हर दिन नजरें
बिछाती।।
     संगीता दरक माहेश्वरी

#धरती #पृथ्वीदिवस #नदियाँ

 धरती   तरुवर   माँगती, 

नदियाँ    माँगे   नीर।

अति दोहन नित है बुरा, 

मनवा अब रख धीर।।

#बढ़ते तलाक क्यों और कैसे रोके#how to keep love in relationship

 बढ़ते सम्बन्ध विच्छेद कारण और निवारण


सम्बन्ध अर्थात एक साथ बँधना या जुड़ना
किसी से जुड़ना  मन में उत्साह भर देता है और उसी से जब विच्छेद होता है तो मन दुखी हो जाता है।
संबंध विच्छेद एक पक्ष की तरफ से नहीं होता है क्योंकि कोई एक निभाने का प्रयास करता है तो शायद संबंध बने रहते हैं।
हमारे समाज का चिंतनीय पहलू एक यह भी है कि समाज में युवकों के सम्बन्ध नही हो रहे ऐसे में सम्बन्ध विच्छेद का होना दुःखद है ।
सम्बन्ध विच्छेद के कारण:-
*आजकल विवाह सम्बन्ध में पहले की भांति गुण और गोत्र नही देखे जाते पहले लड़के और लड़की के गुण मिलाते थे, ओर माँ के मामा और पिता के मामा की साख टालते थे, मतलब एक गोत्र होने पर रिश्ता नही होता था, क्यों कि ऐसा माना जाता है कि एक ही कुल के परिवार में स्वभाव प्रवति एक जैसी रहेगी तो पति पत्नी के रिश्तों में सामंजस्य या तालमेल कैसे आएगा ।
जैसे दोनों को अगर गुस्सा क्रोध ज्यादा आएगा तो रिश्ता कैसे निभेगा।
*बहुत सी बार बच्चे शादी के लिए तैयार नहीं होते (उनकी उम्र तो हो जाती है) तो उनको जब घर वाले राजी करते हैं तब वो अपने रिश्ते को निभा नही पाते है।

*आजकल सही उम्र में विवाह नही हो रहे बढ़ती उम्र के सम्बन्धो में तनाव होता है फलस्वरूप  सम्बन्ध टूट जाते है ।

*कहते हैं कि एक सिक्के के दो पहलू होते है
पुनर्विवाह  होने से बहुत से घर बसे है लेकिन आजकल ऐसी सोच हो गई कि चलो नही निभ रहा तो दूसरा सम्बन्ध कर देंगे ।
* बच्चे आजकल बाहर रहकर पढ़ाई करते हैं और परिवार से दूर रहकर बच्चे बाहर के माहौल में ढलने लगते हैं, और अपने संस्कारों से दूर होने से बच्चों में अपने रीति रिवाजों की समझ नही होती।
परिवार में साथ रहकर कैसे रिश्तो को निभाना है, कैसे एक दूसरे को समझना है वो समझते ही नही है ।
आज की युवा पीढ़ी  हर चीज को पैसे से खरीद लेंगे ऐसी सोच रखते हैं इसलिए भी  रिश्तो को इतना महत्व नहीं देते।

*आजकल बेटियाँ भी खूब पढ़ लिख रही है अपने पैरों पर खड़ी हो रही है खुद कमा रही है तो वह भी समझती है कि मैं क्यों सहन करूँ या निभाऊं, मैं तो अपना जीवन अपने मुताबिक जी सकती हूँ।

*बेटी ससुराल की हर बात मायके वालों को बताती है तो माँ अपनी बेटी के मोहवश गलत सीख देती है ये भी संबध विच्छेद का एक कारण है।
मायके वालो का जरूरत से ज्यादा बेटी के घर में हस्तक्षेप बेटी को ससुराल में किसी चीज की कमी हो तो वो कमी मायके वाले का पूरा करना भी कही न कही गलत है।
आज  रिश्ते इस मोबाइल फोन की वजह से भी टूट रहे हैं ।

*महानगरों में रहने वाले पति-पत्नी की जीवन शैली ऐसी होती है कि दोनों को बात करने समझने समझाने का समय नहीं।
समय की कमी और हमारी बढ़ती जरूरतो ने इंसान को मशीन बना दिया है,
पति-पत्नी का एक दूसरे को समय नहीं दे पाना यह भी  कारण है सम्बन्ध विच्छेद का।

*आजकल नई हवा यह भी चली है की शादी के दो-तीन वर्ष बाद भी युगल अपना परिवार बढ़ाते नहीं है,कहते हैं कि बच्चे से पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है लेकिन वह पति पत्नी अगर दोनों कामकाजी है तो दोनों अपनी भविष्य की योजनाओं की ओर देखते हैं दोनों अपने भविष्य के बारे में सोचते और कहते हैं कि एक बार सेटल हो जाए फिर परिवार बढ़ाएंगे।

निवारण
ऐसी कुछ बाते जिनको अमल में लाये तो  बढ़ते सम्बन्ध विच्छेद को रोका जा सकता है#
*सम्बन्ध करते समय गोत्र का ध्यान रखा जाए और गुण भी मिलाए जाए।
*विवाह सही उम्र में हो और
बच्चो की रजामंदी से  हो और वो विवाह के रिश्ते को लेकर पूर्ण रूप से तैयार हो तो ही विवाह करे ।
*पहले विवाह सम्बन्धो में  मध्यस्थ की भूमिका प्रमुख रहती थी,मध्यस्थ दोनों पक्ष की बातों को रखता और दोनों पक्ष मध्यस्थ की बात को महत्व देते थे ।और सम्बन्ध टूटने की कगार पर होता है तब मध्यस्थ दोनों परिवारों को साथ मे लेकर बात करते है ।
*बच्चे बाहर रहे पर उनको अपने त्योहारों और घर के  कार्यक्रमो उत्सव में उनको जरूर बुलाए ताकि वे अपने परम्पराओ और रिवाजो को समझे।

*बेटीयों को उच्च शिक्षा जरूर दिलाए मग़र जीवन के तौर तरीके रिश्ते नाते परम्पराओ के बारे में भी समझाए।

*बेटी का हर बात को मायके वालों से न कहना और माँ की सही  सीख भी बेटी के संसार को बसा सकती है ।
जरूरत पड़े तो बेटी और दामाद को बिठाकर समझावें।
बेटी की गलतियों को मायके वाले को बढ़ावा नही देना चाहिए और न ही (वरपक्ष)बेटे की गलतियों को अपने परिवार द्वारा छुपाना नहीं चाहिए।
*शहरों में परिवार से दूर रहने वाले पति पत्नी को एक दूसरे को समय जरूर देना चाहिए। साथ  बैठने से कई  समस्या सुलझ जाती है ।
परिवार के साथ रहते हैं तो एक दूसरे की गलती या मनमुटाव होने पर परिवार के  बड़े समझाते हैं तो दोनों समझ जाते हैं
छोटी- छोटी बातें बड़ी नहीं बनती
रिश्तो के महत्व को समझाते ।

*पति पत्नी को अपने काम के भविष्य की योजनाओं के  साथ अपने रिश्ते के भविष्य का भी सोचना चाहिए समय से परिवार को बढ़ाना चाहिए ।जिनसे दोनों के सम्बन्ध और प्रगाढ़ हो।
और अंत में.....
पहले सम्बन्ध करने से पहले घरवालों की बात होती थी  लड़का लड़की देखते थे  और रिश्ता तय हो जाता था और शादी हो जाती है और बेटियों को माँ की सीख रहती है कि तेरा घर वही है तुझे वहीं निभाना है और रिश्ते निभते भी थे
लेकिन अब खुले विचार के लड़के लड़की एक दूसरे को खूब समझते फोन पर बातें करते मिलते और शादी तय होती और उसके बाद दोनों में सामंजस्य तालमेल नहीं बैठता है और हो जाता है संबंध विच्छेद।
ऐसी स्तिथि में दोनों परिवारों को बैठकर बात करनी चाहिए उनको ये अहसास दिलाना चाहिए की
पहले आपस में इतनी बातें नहीं होती थी तो भी रिश्ते अच्छे से निभते थे । किसी को स्वीकार करो तो उसकी कमियों के साथ दोनों एक दूसरे की भावनाओ का सम्मान करना चाहिए।
आजकल पति पत्नी में एक दूसरे के प्रति सम्मान की कमी हो गई है ,रिश्तो में
अहंकार ने अपनी जगह बना ली।
पति पत्नी का स्वरूप नारायण और लक्ष्मी सा होता है इस रिश्ते में दोनों को एक दूसरे के प्रति आदर और सम्मान देना चाहिए।
एक दूसरे की कमियों को नजरअंदाज करना चाहिए ।
कभी कभी ऐसा भी होता है कि पत्नी मायके वालों का ज्यादा ध्यान रखती है या उनका हस्तक्षेप ज्यादा होता है मायके वाले अगर धनाढ्य है और ससुराल में इतनी सम्पन्नता न हो तो भी पत्नी को अपने ससुराल का मान रखना चाहिए।
और अगर परिस्तिथि विपरीत हो तब पति को ध्यान रखना चाहिए । 
पति और पत्नी दोनों को विवाह जन्मजनमोत्तर का बंधन है और जोड़ियां ईश्वर बनाता है ऐसा सोचकर सम्बन्धो का निर्वाह करना चाहिए । कभी एक नाराज हो तो दूसरा मना ले कभी एक थोड़ा सब्र रख ले
जीवन रूपी गाड़ी को खींचने के लिये दोनों पहिये समान रूप से जुटे रहे बस ।फिर सुखी संसार।।
                       
               
 













सच बोले कौआ काटे #

  सच बोले कौआ काटे........ आप सोच रहे होंगे कि मैंने कहावत गलत लिख दी कहावत  तो कुछ और है  पर  वर्तमान में यही कहावत ठीक बैठती है  सच में, आ...